करीब दस घंटे के बाद प्रदर्शन कर रहे पुलिसवालों ने धरना खत्म कर दिया है। पुलिसवालों की सभी मांग मान ली गई है। पुलिसयूनियन बनाने की मांग भी मान ली गई है।
दोनों इंसाफ के सिपहसालार दोनों का काम कानून और इंसाफ की हिफाजत करना। लेकिन ऐसी जिम्मेदारी को निभाने वाले जिम्मेदार लोग अगर दुश्मनों की तरह आपस में ही भिड़ जाएंगे तो फिर कानून का क्या होगा और इंसाफ की हिफाजत का क्या होगा? पर अफसोस यही सब हुआ दिल्ली में। एक तरफ कानून तो दूसरी तरफ कानून के कोतवाल इसके बाद जो कुछ हुआ इसमें कितने वकील और पुलिसवाले घायल हुए उसका कोई मतलब नहीं रह जाता क्योंकि इससे जख्मी तो सिर्फ कानून ही हुआ। जिन दो लोगों के कंधो पर कानून की जिम्मेदारी है उन्होंने दिल्ली को ऐसा नाटक दिखा रहे हैं कि बस पूछिए ही मत। लेकिन करीब दस घंटे के बाद प्रदर्शन कर रहे पुलिसवालों ने धरना खत्म कर दिया है। पुलिसवालों की सभी मांग मान ली गई है। पुलिसयूनियन बनाने की मांग भी मान ली गई है।
- पुलिस वेलफेयर एसोसिएशन बनाने की मांग
- पुलिस पर हमला हो तो फौरन कार्रवाई हो
- पुलिसवालों का निलंबन वापस हो
- दोषी वकीलों के खिलाफ केस दर्ज हो